Saturday, October 5, 2019
Friday, October 4, 2019
SOUTH EX
SOUTH
EXTENTION शिक्षा व फैशन का समागम
साउथ एक्स जो कि दिल्ली के दक्षिण हिस्से में मौजूद है
जिसके आसपास किदवई नगर आईएनए लाजपत
नगर डिफेन्स कॉलोनी एम्स मालवीय नगर जैसे बहुत ही विकसित कॉलोनी मौजूद है आर्थिक
दृष्टि से बहुत ही संपन्न साउथ एक्स पुरे भारत वर्ष में दिल्ली की पहचान बनी
हुई है यहाँ की शैक्षिक दर 87 प्रतिशत के करीब है यह दो भागो में बना हुआ है साउथ एक्स 1 व साउथ एक्स 2 यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बहुत से शोरूम है इसके अतिरिक्त साउथ एक्स अपनी शिक्षण संस्थानों
के लिए भी जाना जाता है यहाँ विभिन्न कोर्स के लिए बहुत से संस्थान मौजूद है जिसमे
पुरे भारतवर्ष से युवक युवतिया आकर इन कोर्सो को कर के अपना भविष्य सवारते है हम साउथ
एक्स को शिक्षा व फैशन स्थल
कह सकते है शिक्षा के क्षेत्र में साउथ एक्स दिल्ली ही नहीं बल्कि पुरे उत्तर भारत में काफी चर्चित
है MBA /MCA / डिजिटल मार्केटिंग /एनीमेशन आदि
यहाँ बहुत कोर्स है इनके अतिरिक्त
मेडिकल व इंजीनियरिंग में में प्रवेश हेतु
यहाँ काफी उच्च स्तर के कोचिंग संस्थान है जिनमे कोचिंग ग्रहण कर के छात्र डॉक्टर
व इंजीनियर बनने में सफलता हासिल कर रहे
है
यहाँ पर आने वाले छात्र जो की पुरे भारतवर्ष से आकर यहाँ कोचिंग करते है या
किसी कोर्स में एडमिशन लेते है के लिए यहाँ पेइंग गेस्ट का धंधा जोरो पर चल रहा
है साउथ एक्स में रहने वाले करीब 50 प्रतिशत लोग अपने घरो पर पीजी का इंतजाम किये हुए है जिससे बहार से आने
वाले छात्रों को रहने खाने की सुविधा मिल जाती है तथा यहाँ रहने वाले लोगो को एक
आय का साधन हो जाता है
साउथ एक्स में वैसे तो बहुत से शिक्षण संसथान है और सभी संस्थानों की अपनी
विशेषता है तथा यहाँ पड़ने वाले विद्यार्थी आगे चलकर अपना
भविष्य उज्जवल कर सकते है
अगर हम फैशन की बात करे तो साउथ एक्स में एक से बढ़कर एक राष्ट्रीय व
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बहुत से शोरूम रेस्टोरेंट आदि मौजूद है जिनमे मैक्डोनाल्ड
डोमिनोस लाकोस्टय हल्दीराम लेविस आदि बहुत से देशी व विदेशी ब्रांड की शाखाए यहाँ
खुली हुई है
जो साउथ एक्स की शोभा बड़ा रही है इन सभी बड़ी ब्रांड के शोरूमो में पूरी साउथ
दिल्ली के लोग आकर खरीदारी करते है इसके अतिरिक्त विदेशो से आने वाले
मेहमान भी यहाँ के फैशन के कायल है साउथ एक्स में
रहने वाले लोगो की दिनचर्या एक
अग्रणी समाज में रहने वाले लोगो की भाति है तथा पहनावा दिल्ली के फैशन का घोतक हैTetanus
टेटनस
पशुओं और मनुष्यों के मल में या मिटटी में पलने वाला एक जीवाणु
यह जीवाणु जब घाव के रास्ते शारीर में पहुँच जाता है तो टेटनस हो जाता है|
टेटनस होता कैसे है ?
-पशुओं के काटने से
- चाकू के घाव से
- बन्दूक कि गोली लगने से
- गन्दे सुई से कान खोदने या इन्जेक्सन लेने से
- कंटीली लोहे कि तार से खुरचने पर
- घाव पर गोबर लगाने से
- काँटी या कांच से बने घाव से भी हो सकता है |
जिन व्यक्तियों में टेटनस न होने देने वाले टीके नहीं लगवाएं हैं और समय – समय पर बूस्टर डोज नहीं लिया है उन्हें भी टेटनस हो सकता है|
छोटे बच्चों को होने वाले टेटनस के कारण
-ऐसी किसी धारदार चीज से नाल-नाभी काटने पर जिसे स्प्रिट से नहीं धोया गया या उबले पानी में नहीं धोया गया है|
- जब नाभी काटने के बाद उसपर गोबर रख दिया जाता है|
लक्षण
- एक तरह क छुतहा घाव जो दिखता नहीं है
- निगलने में कठिनाई
- जबड़ा कड़ा हो जाता है
- गर्दन और बदन के दूसरे अंग अकड़ जाते हैं
- बच्चे लगातार रोते हैं, वे दूध भी निगल नहीं पाते|
उपचार
टेटनस एक खतरनाक बीमारी है, लक्षण देखते ही डाक्टर को दिखाएँ
- व्यक्ति को अन्धेरे शांत जगह में लिटा दें|
- घाव कि जगह को साबुन से धोएँ
- घाव में अगर कुछ फंसा हो तो उसे साफ चीज से बाहर निकाल दें
बचाव
- समय-समय पर टीका लगवाएं
- कटने पर तुरत टेटनस का इंजेक्सन लें
- बच्चे के नाभी कटने के लिए उबाले गए ब्लेड का ही इस्तेमाल करें|
Tuesday, October 1, 2019
रक्षाबंधन
राजा बलि और लक्ष्मी मां ने शुरू की भाई-बहन की राखी
राजा बली बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया। इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं। तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया। फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें। भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए। उधर देवी लक्ष्मी परेशान हो गईं। फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांधी। बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं। इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन
राखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। सुंदर इसलिए क्योंकि यह घटना दर्शाती है कि भाई-बहन के स्नेह के लिए उनका सगा होना जरूरी नहीं है। कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी उंगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आईं और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा की दिन था।
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाए
राजा बलि और लक्ष्मी मां ने शुरू की भाई-बहन की राखी
राजा बली बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया। इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश नाप लिया। इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं। तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान का पग अपने सिर पर रखवा लिया। फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें। भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताल चले गए। उधर देवी लक्ष्मी परेशान हो गईं। फिर उन्होंने लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के सामने पहुंचीं और राजा बलि को राखी बांधी। बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं हैं, इस पर देवी लक्ष्मी अपने रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं। इस पर बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया। जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधनराखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। सुंदर इसलिए क्योंकि यह घटना दर्शाती है कि भाई-बहन के स्नेह के लिए उनका सगा होना जरूरी नहीं है। कथा है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभा में शिशुपाल भी मौजूद था। शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का अपमान किया तो श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। लौटते हुए सुदर्शन चक्र से भगवान की छोटी उंगली थोड़ी कट गई और रक्त बहने लगा। यह देख द्रौपदी आगे आईं और उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। इसी समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वह एक-एक धागे का ऋण चुकाएंगे। इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी के चीर की लाज रखी। कहते हैं जिस दिन द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा की दिन था।
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