*जहां कदर नहीं वहां जाना नहीं,*
*जो पचता नहीं, वो खाना नहीं।*
*जो सत्य पर रूठे, मनाना नहीं,*
*जो नज़रों से गिरे, उठाना नहीं।*
*मौसम सा जो बदले, दोस्त बनाना नहीं,*
*ये तकलीफें तो जिंदगी का हिस्सा हैं,*
*डटे रहना पर कभी घबराना नहीं।*
*जो पचता नहीं, वो खाना नहीं।*
*जो सत्य पर रूठे, मनाना नहीं,*
*जो नज़रों से गिरे, उठाना नहीं।*
*मौसम सा जो बदले, दोस्त बनाना नहीं,*
*ये तकलीफें तो जिंदगी का हिस्सा हैं,*
*डटे रहना पर कभी घबराना नहीं।*
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